baglamukhi for Dummies
दस सहस्र जप करै जो कोई। सक काज तेहि कर सिधि होई।।एकादशशतं यावत् पुरश्चरणमुच्यते॥ ३५ ॥रक्षां करोतु सर्वत्र गृहेऽरण्ये सदा मम॥ ५
दस सहस्र जप करै जो कोई। सक काज तेहि कर सिधि होई।।एकादशशतं यावत् पुरश्चरणमुच्यते॥ ३५ ॥रक्षां करोतु सर्वत्र गृहेऽरण्ये सदा मम॥ ५